श्री राम नाईक
पूर्व राज्यपाल
पिता का नाम | श्री दामोदर |
पत्नी का नाम | श्रीमती कुंदा |
जन्म | 16 अप्रैल 1934, सांगली (महाराष्ट्र) |
शैक्षिक योग्यताएं | बी.काम्, एलएल.बी |
व्यवसाय | सामाजिक कार्यकर्ता , सलाहकार |
अन्य जानकारी
आदरणीय राष्ट्रपति जी ने 14 जुलाई को श्री राम नाईक को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर मनोनित करने के बाद श्री नाईक ने 22 जुलाई 2014 को लखनऊ में पद ग्रहण किया। इसके पूर्व श्री अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में गठित मंत्री परिषद में 13 अक्टूबर 1999 से 13 मई 2004 तक श्री राम नार्इक पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री रहे। 1963 में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय का गठन हुआ। तब से अब तक लगातार पॉंच वर्ष कार्यरत वे एकमेव पेट्रोलियम मंत्री है। इसके पूर्व 1998 की मंत्री परिषद में श्री नाईक ने रेल (स्वतंत्र प्रभार) गृह योजना एंव कार्यक्रम कार्यान्वयन और संसदीय कार्य मंत्रालयों में राज्यमंत्री (13 मार्च 1998 से 13 अक्टूबर 1999) के रूप में कामकाज संभाला था। एक साथ इतने महत्तवपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभालना विशेष माना जाता है। वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे तथा भाजप शासित राज्य सरकारों के मंत्रियों की कार्यक्षमता बढ़े और गुणवत्ता का संवर्धन हो इसलिए गठित ‘सुशासन प्रकोष्ठ’ के राष्ट्रीय संयोजक भी थे। 2014 का लोक सभा चुनाव न लड़ने की तथा भविष्य में पार्टी को अपने राजनैतिक अनुभव देने के लिए राजनीति में सक्रीय रहने की घोषणा श्री राम नाईक ने भाजपा के आचार-विचार के प्रेरणास्त्रोत तथा एकात्म मानववाद के जनक पंडित दीन दयाल उपाध्याय के जयंती के दिन याने 25 सितम्बर 2013 को पत्रकार सम्मेलन में की। 2014 के लोकसभा चुनाव में उनके उत्तर मुंबई निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार श्री गोपाल शेट्टी महाराष्ट्र में सबसे अधिक मतों से 6,64,004 और सबसे अधिक मताधिक्य से 4,46,582 जीतें। श्री नाईक श्री शेट्टी के चुनाव प्रमुख थे।
पेट्रोलियम मंत्री के रूप में श्री राम नार्इक ने अक्टूबर 1999 मे पदभार संभाला। उस समय 1 करोड़ 10 लाख ग्राहक घरेलू गैस की प्रतिक्षा-सूची में थे। यह घरेलू गैस की प्रतिक्षा-सूची समाप्त करने के साथ- साथ कुल 3 करोड़ 50 लाख नये गैस कनैक्शन श्री नाईक ने अपने कार्यकाल में जारी करवाए। उसके पूर्व 40 वर्षो में कुल 3.37 करोड़ गैस कनेक्शन दिये गये थे। मांगने पर नया सिलंडर मिलना प्रारम्भ हुआ था। इस पृष्ठभूमि पर श्री नाईक की कार्यक्षमता उभर कर सामने आती है। साथ-साथ दुर्गम तथा पहाड़ी इलाकों की जरूरतों को व अल्प आय वाले लोगो को राहत देने के लिए 5 किलो के गैस सिलेंडर भी उनके कार्यकाल में जारी किये गये। उस समय 70 प्रतिशत कच्चा तेल (क्रूड आईल) आयात किया जाता था। कच्चे तेल के आयात की इस निर्भरता को कम करने के लिए उन्होने विविध योजनाएं बनाकर उन्हे कार्यरूप देना शुरू किया। उन योजनाओं में से एक महत्वपूर्ण निर्णय अर्थात इथेनॉल का पेट्रोल में 10 प्रतिशत मिश्रण करना है। कारगिल युद्ध में शहीद वीरों की पत्नियों/निकटस्थ रिश्तेदारों को तेल कंपनियों के माध्यम से पेट्रोल पंप और गैस एजेंसी की डीलरशिप देने की विशेष योजना भी उनके द्वारा ही मंजूर की गई। संसद भवन पर हुए हमले में शहीद कर्मचारियों के परिवारीजनों को भी पेट्रोल पंप आंबटित किए। पेट्रोल-डीजल के वाहनों से प्रदूषण कम हो इसलिए दिल्ली और मुबंई में सीएनजी गैस देना प्रारम्भ किया। इस समय मुंबई में 1.40 लाख आटोरिक्शा, 53 हजार टैक्सी, 7500 निजी मोटरकारें तथा 8,400 बस-ट्रक-टैम्पों सीएनजी पर चलते है। इसके अलावा रसोई के एलपीजी सिलंडर के बदले अधिक सुरक्षित, उपयोग के लिए आसान और तुलना में सस्ता पाइप गैस शुरू किया। इसका लाभ मुबंई में 7 लाख परिवारों को और 1,900 लघु-उद्योगो को मिल रहा है।
मुंबईवालो की नजर में ‘उपनगरीय रेल यात्रियों के मित्र’ यह श्री राम नाईक की असली पहचान है। श्री नाईक ने 1964 में ‘गोरेगांव प्रवासी संघ’ की स्थापना कर उपनगरीय यात्रियों की समस्याओं को सुलझाने का कार्य प्रारम्भ किया। बाद में रेल राज्यमंत्री के नाते विश्व के व्यस्ततम मुंबई उपनगरीय रेल के 76 लाख यात्रियों को उन्नत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए ‘मुंबई रेल विकास निगम’ की स्थापना की। मुंबई के उपनगरीय यात्रियों को राहत देने की दृष्टि से श्री राम नाईक ने अनेक विषयों की पहल की जैसे कि उपनगरी क्षेत्र का विरार से डहाणू तक विस्तार, 12 डिब्बों की गाडि़या, संगणीकृत आरक्षण केन्द्र, बोरीवली-विरार चौहरीकरण, कुर्ला-कल्याण छ: लाईने, महिला विशेष गाड़ी आदि। संपूर्ण देश में रेल प्लेटफार्मो पर तथा यात्री गाडि़यों में सिगरेट तथा बिड़ी बेचने पर पाबन्दी लगाने का ऐतिहासिक काम श्री नाईक द्वारा हुआ। यात्रियों से सुझाव लेकर नई गाडि़यों का नामकरण करने की अनोखी लोकप्रिय पद्धति का प्रारम्भ भी श्री राम नाईक ने ही किया। 11 जुलाई 2006 के लोकल गाडि़यों में हुए बमविस्फोट से पीडि़त परिवारों को सहायता पहुचाने के लिए विशेष प्रयास किए।16 अप्रैल 2013 से डहाणू-चर्चगेट लोकल सेवा प्रारम्भ हुई। जिसके पिछे श्री नाईक के सफल प्रयास रहे है। इस निर्णय से पश्चिम रेलवे का उपनगरीय सेवा का क्षेत्र 60 किलोमीटर से 124 किलोमीटर हुआ।
श्री राम नाईक ने महाराष्ट्र के उत्तर मुंबई लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से लगातार पांच बार जीतने का कीर्तिमान बनाया है। इसके पूर्व तीन बार वे महाराष्ट्र विधान सभा में बोरीवली से विधायक भी रहे है। तेरहवी लोक सभा चुनाव में उन्हे 5,17,941 मत प्राप्त हुए जो कि महाराष्ट्र के सभी जीतने वाले सांसदों में सर्वाधिक थे। मुंबई में सफलतापूर्वक लगातार आठ बार चुनाव जीतने का कीर्तिमान स्थापित करने वाले श्री राम नार्इक पहले लोकप्रतिनिधी है। जनप्रतिनिधी की जवाबदेही की भूमिका में मतदाताओं को वे प्रतिवर्ष कार्यवृत्त प्रस्तुत करते रहे।
श्री राम नाईक संसद की गरिमामय लोक लेखा समिति के 1995-96 में अध्यक्ष थे। लोकसभा में वे भाजपा के मुख्य संचेतक भी रहे। संसदीय रेलवे समन्वय समिति, प्रतिभूति घोटाला के लिए संयुक्त जांच समिति, महिला सशक्तिकरण को बल प्रदान करने हेतु संसदीय समिति जैसी प्रमुख समितियों में भी उनका महत्तवपूर्ण योगदान रहा है। लोक सभा की कार्यवाही को सुचारू चलाने के लिए लोकसभा की सभापति तालिका के भी वे सदस्य रहे है।
श्री राम नाईक ने संसद में ‘वंदे मातरम्’ का गान प्रारम्भ करवाया। उनके प्रयासों के फलस्वरूप ही अंग्रेजी में ‘बाम्बे’ और हिन्दी में ‘बंबई’ को उसके असली मराठी नाम ‘मुंबई’ में परिवर्तित करने में सफलता मिली। संसद सदस्यों को निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए सांसद निधी की संकल्पना श्री नाईक की ही है। इस राशि को रूपये 1 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष से रूपये 2 करोड़ प्रतिवर्ष कराने का निर्णय भी योजना एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्य मंत्री के नाते श्री नाईक ने लिया। अब यह राशि रू0 5 करोड़ की गयी है। संसद सदस्य के नाते उन्होने स्तनपान को प्रोत्साहन और शिशु खाद्य के विज्ञापनों पर रोक का निजी विधेयक प्रस्तुत किया। तदनुसार इस विधेयक को सरकार द्वारा स्वीकृति मिली और बाद में यह अधिनियम बना।
श्री नार्इक का जन्म 16 अप्रैल 1934 को महाराष्ट्र के सांगली में हुआ। विद्यालयीन शिक्षा सांगली जिले के आटपाडी गांव में हुई। पूणे में बृहन् महराष्ट्र वाणिज्य महाविद्यालय से 1954 में बी0काम0 तथा मुंबई में किशनचंद चेलाराम महाविद्यालय से 1958 में एलएलबी की स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की। श्री नाईक ने अपना व्यावसायिक जीवन ‘अकाउंटैट जनरल’ के कार्यालय में अपर श्रेणी लिपिक के नाते शुरू किया बाद में उनकी उच्च पदों पर उन्नति हुई और 1969 तक निजी क्षेत्र में कंपनी सचिव तथा प्रबन्ध सलाहकार के नाते उन्होने कार्य किया। श्री राम नाईक बचपन से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वंयसेवक है।
तारापूर अणु ऊर्जा प्रकल्प 3 व 4 के कारण विस्थापित हुए पोफरण व अक्करपट्टी ग्रामवासियों के पुर्नवास के लिए 2004 से स्वंयम् श्री नाईक मुंबई उच्च न्यायालय में भी कानूनी लड़ाई लड़ रहे है। अब इन विस्थापितों को न्याय मिल रहा है। इस संदर्भ में श्री नाईक ने ‘गाथा संघर्षाची’ मराठी तथा ‘संघर्ष की गाथा’ अंग्रेजी किताबे भी लिखी है। कुष्ठपीडि़तों रूग्णों का सामाजिक सशक्तीकरण हो तथा उनके परिवारों का यथोचित पुर्नवास हो। इस उद्देश्य से उनकी आगवानी में 5 दिसम्बर 2007 को राज्यसभा में याचिका प्रस्तुत की। राज्यसभा में याचिका समिति ने अपनी रिपोर्ट 24 अक्टूबर 2008 को राज्यसभा को प्रस्तुत किया है। इसके अतिरिक्त 1987 में विख्यात समाजशास्त्रज्ञ के शरद चद्र गोखले द्वारा स्थापित इंटरनेशनल लेप्रसी युनिअन पुणें के आप अध्यक्ष भी रहे है।
श्री राम नाईक को 1994 में केंसर ककी दुर्धर बीमारी हुई परन्तु श्री रामनाईक ने उस रोग को भी मात दी। तत्पश्चात विगत 20 वर्षो में पहले जैसे वे उसी उत्साह और कार्यक्षमता से काम कर रहे है। श्री राम नाईक एक विशिष्ठ छवि वाले व्यक्ति है जो प्रत्येक कार्य में सूक्ष्मता और पारदर्शिता एवं जागरूकता के लिए जाने जाते है।
आदरणीय राष्ट्रपति द्वारा उत्तर प्रदेश के राज्यपाल नियुक्त किये जाने की घोषणा के बाद 15 जुलाई 2014 को श्री राम नाईक ने भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तथा सभी पदों से इस्तीफा दिया है।